व्यायाम के क्षेत्र में पिछले 15-20 वर्ष में एक क्रान्ति आयी है। लाखों लोग जॉगिंग (Daily Exercise -Warm Up Exercise Benifits-benefits of exercise) अपना चुके हैं तो करोड़ों लोग समुचित आहार की खोज में लगे हुए हैं। 'स्थूलकाय की कोई कद्र नहीं, छरहरी काया हर किसी को पसंद है। अतः आज अधिकांश व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के व्यायाम में रत प्रतीत होते हैं मगर वास्तव में कुछ ही लोग अर्थपूर्ण व्यायाम में लिप्त रहते हैं।
मुझे नहीं बनानी माँसपेशियाँ, मैं सिर्फ उन्हें सुदृढ़ व तीव्र बनाना चाहता हूँ, उनके ऐसे बयान अजीबोगरीब से लगते हैं। किसी भी गतिविधि को सम्पन्न करने में विभिन्न कारणों का योगदान रहता है।
• माँसपेशियों की शक्ति व टिकाऊपन
• हृदय, रक्त वाहिनियों तथा फेफड़ों की दुरुस्त स्थिति
• आपकी दक्षता
• आपका शारीरिक अनुपात
• आपकी स्नायु सम्बन्धी
(न्यूरोलॉजिकल) योग्यता इनमें से सभी कारण महत्वपूर्ण हैं किन्तु समान तौर पर नहीं और इनमें से कुछ तो सुधारे जा सकते हैं मगर कुछ नहीं । उचित व्यायाम से पहले वाले कारणों में तो काफी सुधार किया जा सकता है मसलन माँसपेशियों की शक्ति व टिकाऊपन तथा हृदय, फेफड़ों व रक्तवाहिनियों की स्थिति में सुधार ।
उचित मोटिवेशन-
व्यायाम से लोगों की अनिच्छा की एक इच्छाशक्ति वजह है दृढ़ का अभाव । व्यायाम एक प्रकार का कठोर अनुशासन है व कभी कभी तो अकल्पनीय रूप से संतुलित आहार सेवन से ऊब होने लगती है।
व्यायाम से मुँह मोड़ने के अन्य कारण यह हैं कि इसमें बताये गए कदम कभी कभी बेहद जटिल होते हैं, जिनमें एक घण्टे तक का समय लग जाता है। आपको जरूरत है तो सिर्फ उत्प्रेरण की। यदि आप सिर्फ यह तय कर लें कि करना क्या है तो ऊर्जावान्, छरहरी काया पाने में यह आपको बहुत काम आयेगा। 10 मिनट व्यायाम सत्र के बाद ही आपको हर्षपूर्वक ऊर्जा स्तर में वृद्धि का एहसास होगा।
याद रखने की बातें-
• प्रतिदिन व्यायाम का समय निर्धारित रखें, स्वभाव बना लें कि प्रातः काल इसका श्रेष्ठतम् समय है
• वजन समस्याग्रस्त लोगों के लिए दोपहर में भोजनावकाश का समय भी बेहतर होता है। तमाम मशक्क्त के बाद भूख घट सकती है, नतीजतन कम खाने से वजन घट भी सकता है
तीसरे पहर व्यायाम के भी अपने लाभ हैं, इनसे कुल मिलाकर तनाव से निजात तो मिल ही जाता है। भोजन के तुरन्त बाद कभी व्यायाम न करें। सोने से पहले व्यायाम करते हों तो भोजन के कम से कम दो घण्टे बाद ही करें। व्यायाम नियमित करें न कि जब मन करे तब । नियमितता महत्वपूर्ण है, बीमारी या थकान की स्थिति ही अपवाद हो सकती है
• यदि व्यायाम के दौरान व्यवधान पड़े तो दोबारा शुरू से चालू करें न कि बीच से • व्यायाम शुरू करें तो हृदय व माँसपेशियों पर अधिक दबाव न डालें, धीरे- धीरे गति बढ़ायें। में अकड़न या दर्द, सिर में हल्कापन या साँस उखड़ना, उबकाई या चक्कर आना आदि व्यायाम के दौरान बेहद थकान के लक्षण हैं।
ऐसे लक्षणों के प्रकट होते ही व्यायाम रोक दें। आपका शरीर कितनी थकान झेल सकता है, इसका परीक्षण बहुत आसान है। व्यायाम के पाँच मिनट बाद ही नाड़ी गिनें, यदि वे 120 से ऊपर हैं तो ये व्यायामातिरेक के चिन्ह हैं।
व्यायाम के 10 मिनट बाद नाड़ी दोबारा गिनें, यदि वे 100 से कम नहीं हैं तो व्यायाम क्रम में तत्काल बदलाव करें। नाड़ी गिनने का श्रेष्ठतम् उपाय है गले पर हाथ रखना चूँकि कुछ लोगों में कलाई से सही गिनती नहीं मिल पाती।
सेकण्ड की सूई लगी घड़ी से 15 सेकण्ड तक नाड़ी गिनें व 4 से गुणा कर दें। यदि 10 मिनट बाद ही साँस उखड़ने लगे तो मान लें कि व्यायाम आपके लिए बेहद थकाऊ है।
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